बिलाल हसन की कई रचनाओ को आपने एक्सप्रेस टुडे पर पढ़ा होगा पर आज उनकी जिस रचना को प्रस्तुत कर रह है उसे सुनने के साथ साथ महसूस भी करिये। महसूस करने की बात इसलिए कह रहे है क्योंकि आज के समय में संवेदनाओं की शायद मृत्यु हो चुकी है। …
Read More »दिनकर का हिमालय
दिनकर की कविता ‘हिमालय’। सन् 1933 में लिखित यह कविता ‘रेणुका’ काव्य-संग्रह का हिस्सा है। ‘मेरे नगपति, मेरे विशाल’! “मेरे भारत के दिव्य भाल! मेरे नगपति! मेरे विशाल! … ओ, मौन, तपस्या लीन यति! पल भर को तो कर दृगन्मेष रे ज्वालाओं से दग्ध, विकल है तड़प रहा पद पर …
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