सुबह का समय था। वह पहाड़ के पैरों तले खड़ा होकर पर्वत के शिखर को अनिमेष नेत्रों से निहारे जा रहा था, बिलकुल गर्दन सीधी ऊपर किये हुए, ठीक वैसे ही जैसे घनघोर अकाल में कोई किसान आशाविहीन आँखों से आकाश की तरफ टकटकी लगाकर धधकते अम्बर से मेघ का …
Read More »