बड़ी रात हो गयी है दूर दूर शांत सा उम्मीद के उपहास सा घनघोर अन्धकार है पर हृदय में कहीं इस दृश्य से परे अजब सी है खलबली प्रकाश ही प्रकाश है| इस निशा की गोद में जहाँ चाँद भी दिखे नहीं वियोग हो समाज में और आस कोई है नहीं फिर भी हर …
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