श्री आशुतोष राणा जितने मंझे हुए कलाकार हैं, उतने ही सधे हुए साहित्यकार। जितने बड़े अभिनेता उतने ही गंभीर अध्येता। फिल्मों में जैसी उनकी भावाभियक्ति, लेखन में उतनी ही गहन सर्जनात्मक अभिव्यक्ति। यह कहने में कोई अतिश्योक्ति न होगी कि उनका व्यक्तित्व इंद्रधनुषी है। इसमें जीवन के विभिन्न खुबसूरत रंगों …
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