मुझे ईमेल, फेसबुक, ट्विटर पर हिंदु और इस्लाम धर्म के रक्षकों से ख़ूब धमकियाँ और गालियाँ पड़ती हैं। मेरे परिवार, खानदान के ख़िलाफ़ लिखते हैं लोग, मेरे खून और परवरिश पर सवाल उठाने वाले लोग भी हैं। केजरीवाल की आलोचना करो तो बीजेपी का एजेंट बताते हैं, मोदी की आलोचना करो तो हिंदु होने पर सवाल उठा दिया जाता है। लेकिन तर्क कोई नहीं करता। सवालों का सीधा जवाब कोई नहीं देता।
जिनके सोचने समझने का आधार ही नफ़रत होगा, वो तर्क कर भी तो नहीं सकते, सिर्फ़ गालियाँ ही दे सकते हैं ना? किसीको मोदी से नफ़रत, किसीको राहुल से तो किसीको केजरीवाल से। किसीको मुसलमानों से नफ़रत, किसीको कम्युनिस्टों से तो किसीको बीजेपी से नफ़रत। और इतना तो तय है कि जब एक बार नफ़रत ने घर कर लिया तो आप कम से कम नफ़रत की राजनीति करने वालों से लड़ नहीं सकते, उल्टा उनका हथियार बन जाते हैं। ये नफ़रत ही है जो आपको नेताओं का भक्त, आपटार्ड या चेला चमचा बनाता है।
नफ़रत की राजनीति से बाहर निकलो झोलटनों। इन पार्टियों और नेताओं को नफ़रत करने वाले लोग ही चाहिए, वैसे लोग चाहिए जो भक्ति में अंधे हो सकें, वैसे लोग जिनको हमेशा सिर्फ एक ही पहलू दिखता रहे। वैसे लोग जिन्हें पता नहीं चलता कि नफ़रत की राजनीति से लड़ते लड़ते वो खुद कब नफ़रत की राजनीति करने लगे। वैसे लोग जो देश को असहिष्णु बताने वालों से लड़ते लड़ते असहिष्णुता की सारी सीमाएं पार कर जाते हैं। वैसे लोग जिन्हें देखकर उपरवाला सोचता होगा कि गलती कर दी इंसान बनाके।
ऐसे लोग और कुछ भी हों, लेकिन हमारे भारतीय संस्कृति का हिस्सा तो नहीं हो सकते। उस संस्कृति का जहाँ वसुदैव कुटुम्बकम् का मूलभूत सिद्धांत है। वो सनातन समाज जिसमें शाश्त्रार्थ और तर्क के आधार पर सिंघासन बदल जाते थे। वो हिन्दू धर्म जिसमें नास्तिक होकर भी लोग हिंदू हो सकते हैं। वो धर्म जहाँ देवता भी असुरों का सिर्फ़ संहार करते थे, उनसे नफ़रत नहीं। वो ऐतिहासिक धरोहर जिसने कई पंथ-सम्प्रदाय को जन्म दिया। बुद्ध, महावीर, अशोक, अकबर, विवेकानंद और गांधी जैसों को जन्म दिया। वो भारतीय समाज जो अनेकता में एकता की दुनिया में सबसे बड़ी मिसाल है।
वो अद्भुत समाज, वो अतुल्य संस्कृति, वो अमूल्य धरोहर सब आज ख़तरे में है, नफ़रत फैलाने वाले चंद लोगों के कारण।

Political Activist and President of Yuva Halla Bol. Likes Painting, Poetry & People.