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सुर्ख लाल गली, लाशों से पटी …

Published Date: December 15, 2016

बिलाल हसन की कई रचनाओ को आपने एक्सप्रेस टुडे पर पढ़ा होगा पर आज उनकी जिस रचना को प्रस्तुत कर रह है उसे सुनने के साथ साथ महसूस भी करिये। महसूस करने की बात इसलिए कह रहे है क्योंकि आज के समय में संवेदनाओं की शायद मृत्यु हो चुकी है। अपनी इस रचना को बिलाल ने पहली बार अपने नाटक आखिरी नज़्म के लखनऊ मंचन में सुनाया था। अब हम कुछ लिखेंगे नहीं बल्कि आप सुनिये और महसूस कीजिये इस रचना के हर एक शब्द को जिसे बिलाल ने अपने यू-ट्यूब चैनल पर पोस्ट किया है।