बड़ी रात हो गयी है
दूर दूर शांत सा
उम्मीद के उपहास सा
घनघोर अन्धकार है
पर हृदय में कहीं
इस दृश्य से परे
अजब सी है खलबली
प्रकाश ही प्रकाश है|
इस निशा की गोद में
जहाँ चाँद भी दिखे नहीं
वियोग हो समाज में
और आस कोई है नहीं
फिर भी हर स्वप्न में
संभावना अनंत दिखे
आस का सहर नया
सूर्य की किरण दिखे|
सूर्य की किरण दिखे|

Political Activist and President of Yuva Halla Bol. Likes Painting, Poetry & People.