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अनंत आशाएं..

Published Date: November 15, 2022

बड़ी रात हो गयी है
दूर दूर शांत सा
उम्मीद के उपहास सा
घनघोर अन्धकार है
 
 
पर हृदय में कहीं
इस दृश्य से परे
अजब सी है खलबली
प्रकाश ही प्रकाश है|
 
 
इस निशा की गोद में
जहाँ चाँद भी दिखे नहीं
वियोग हो समाज में
और आस कोई है नहीं
 
 
फिर भी हर स्वप्न में
संभावना अनंत दिखे
आस का सहर नया
सूर्य की किरण दिखे|